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कश्मीरी स्टूडेंट्स का आरोप-कर्नाटक के कॉलेज ने दाढ़ी कटवाने कहा:  प्रशासन बोला- क्लिनिकल एक्टिविटी के लिए स्वच्छता जरूरी

कश्मीरी स्टूडेंट्स का आरोप-कर्नाटक के कॉलेज ने दाढ़ी कटवाने कहा: प्रशासन बोला- क्लिनिकल एक्टिविटी के लिए स्वच्छता जरूरी


बैंगलुरु30 मिनट पहले

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यह मामला कर्नाटक के हसन जिले के होलेनरसीपुर में सरकारी नर्सिंग कॉलेज का है। - Dainik Bhaskar

यह मामला कर्नाटक के हसन जिले के होलेनरसीपुर में सरकारी नर्सिंग कॉलेज का है।

कर्नाटक के होलेनरसीपुर में सरकारी नर्सिंग कॉलेज के कश्मीरी स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया है कि कॉलेज प्रशासन ने उन्हें दाढ़ी कटवाने या क्लीन शेव करवाने कहा है। आरोप लगाने वाले 14 छात्र प्रधानमंत्री स्पेशल स्कॉलरशिप स्कीम के तहत इस कॉलेज में पढ़ने आए हैं।

मामला राजीव गांधी यूनिवर्सिटी से एफिलिटेड हासन के होलेनरसीपुरा सरकारी नर्सिंग कॉलेज का है। कश्मीरी छात्रों का कहना है कि कॉलेज उन पर ऐसे भेदभाव भरे ट्रेनिंग स्टैंडर्ड लागू कर रहा है जो उनके सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

छात्रों की शिकायत के बाद जम्मू-कश्मीर छात्र संघ (JKSA) ने मामले में दखल दिया। इसके बाद कॉलेज के डायरेक्टर डॉ. राजन्ना बी और प्रिंसिपल के निर्देश पर कश्मीरी छात्रों को दाढ़ी रखने की परमिशन दे दी गई है।

होलेनरसीपुरा नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्र।

होलेनरसीपुरा नर्सिंग कॉलेज में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्र।

कॉलेज प्रशासन बोला- किसी खास ग्रुप को निशाना नहीं बनाया विवाद बढ़ने के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इस मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उसने छात्रों के किसी खास समूह को निशाना नहीं बनाया है। कॉलेज प्रशासन ने कहा, ‘क्लिनिकल एक्टिविटी के लिए स्वच्छता की जरूरत होती है। इसमें भाग लेने के लिए कुछ निश्चित मानदंड हैं। इसलिए कन्नड़ छात्रों समेत सभी छात्रों के लिए एक दिशा-निर्देश जारी किए गए थे।’

डायरेक्टर ने कहा- कुछ स्टूडेंट समय के पाबंद नहीं थे और उनके ड्रेस कोड को लेकर शिकायतें थीं। उनकी दाढ़ी भी लंबी थी। छात्रों को दाढ़ी काटने के निर्देश दिए थे। इसके बाद छात्रों ने जम्मू-कश्मीर छात्र संघ से शिकायत की। बाद में हमें इस मुद्दे का पता चला। हमने छात्रों के साथ चर्चा की, अब यह मुद्दा सुलझ गया है और छात्र खुश हैं।

जेके स्टूडेंट एसोसिएशन ने सिद्धारमैया को लिखी थी चिट्‌ठी मामला सामने आते ही जेएंडके स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने कर्नाटक CM सिद्धारमैया को लेटर लिखा था। लेटर में लिखा गया- कॉलेज मैनेजमेंट ने छात्रों को कॉलेज कैंपस में आने के लिए अपनी दाढ़ी ट्रिम करने या क्लीन-शेव रहने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। दाढ़ी रखने वाले छात्रों को क्लिनिकल ड्यूटी के दौरान एब्सेंट माना जा रहा है, जिससे उनके एजुकेशनल रिकॉर्ड और अटेंडेंस पर असर पड़ रहा है।

हिंदू संगठन ने कहा- नियम ने मानना मुस्लिम छात्रों का अहंकार चिक्कमगलूर में श्री रामसेना के संस्थापक प्रमोद मुथालिक ने कहा कि यह मुस्लिम छात्रों का अहंकार है। नियमों का पालन न करने पर सभी को सस्पेंड कर दिया जाना चाहिए। यह अफगानिस्तान या पाकिस्तान नहीं है। स्टूडेंट्स को कॉलेज के नियमों का पालन करना चाहिए।

श्री रामसेना के संस्थापक प्रमोद मुथालिक ने इस मामले को लेकर कहा कि जो छात्र नियम ने मानें उन्हें कॉलेज से निकाल देना चाहिए।

श्री रामसेना के संस्थापक प्रमोद मुथालिक ने इस मामले को लेकर कहा कि जो छात्र नियम ने मानें उन्हें कॉलेज से निकाल देना चाहिए।

दिसंबर 2021 में कर्नाटक में शुरू हुआ था हिजाब पर विवाद कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज में 31 दिसंबर 2021 को 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने से रोक दिया गया था, जिसके बाद वे धरने पर बैठ गईं। यह विवाद राज्य के बाकी हिस्सों में भी फैल गया। इसके बाद हिंदू संगठनों से जुड़े छात्रों ने बदले में भगवा शॉल पहनकर कॉलेज आना शुरू कर दिया।

हिंसा हुई तो फरवरी 2022 में राज्य सरकार ने स्कूल-कॉलेजों में सभी तरह के धार्मिक पहचान वाले कपड़े पहनने पर रोक लगा दी। आदेश में कहा गया था कि कोई भी कपड़ा जो समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून व्यवस्था को परेशान करेगा, उसे पहनने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस आदेश को लेकर जमकर बवाल हुआ था।

कुछ लोगों ने कर्नाटक सरकार के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। 15 मार्च 2022 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने कॉलेज यूनिफॉर्म को जरूरी बताया।

दिसंबर 2023 में कर्नाटक सीएम सिद्धारमैया ने हिजाब पर बैन हटाया था मई 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के बाद दिसंबर में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य के स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया था। सीएम ने निजी आजादी और पसंद के अधिकार का हवाला देते हुए यह फैसला किया था।

सिद्धारमैया ने कहा था, ‘महिलाएं हिजाब पहन सकती हैं और कॉलेजों में जा सकती हैं। मैंने अधिकारियों को प्रतिबंध आदेश वापस लेने का निर्देश दिया है। पोशाक और भोजन का विकल्प व्यक्तिगत है। मैं इसमें बाधा क्यों डालूं? जो चाहो वो पहनो। जो चाहो वो खाओ। मैं धोती पहनता हूं, तुम पैंट शर्ट पहनते हो। इसमें गलत क्या है? वोट के लिए राजनीति नहीं करनी चाहिए।’

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