अहमदाबाद: गुजरात में फेक पीएमओ ऑफिसर, नकली आईएएस और फर्जी आईपीएस के पकड़े जाने के बाद अब फर्जीवाड़े का एक और हैरान करने वाला वाकया सामने आया है। अहमदाबाद पुलिस ने शहर के सिविल कोर्ट के सामने चली रही एक नकली कोर्ट को पकड़ा है। गुजरात के अहमदाबाद में यह नकली कोर्ट काफी समय से चल रही थी। इतना ही नहीं हैरान करने वाली बात यह है कि मॉरिस क्रिश्चन नाम के व्यक्ति ने विवादित जमीनों के कई ऑर्डर कर डाले, कई ऑर्डर DM ऑफिस तक भी पहुंचे और कुछ DM ऑफिस से भी पास हो गए। जब बात अहमदाबाद सिटी सिविल सेशंस कोर्ट के जज के पास पहुंची तो जांच के बाद रजिस्ट्रार ने कारंज पुलिस थाने में FIR दाखिल की। पुलिस ने जांच के बाद मॉरिस को दबोचा। अहमदाबाद में नकली कोर्ट के खुलासे से हड़कंप मच गया है।
कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया
अहमदाबाद शहर की पुलिस ने मॉरिस क्रिश्चियन के नाम के शख्य के खिलाफ एफआईआर दाखिल की है। मॉरिस पेशे से वकील है। पुलिस ने आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिस्टन और उसके साथ जुड़े सभी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 465,467,471,120 (बी) में मामला दर्ज किया है। पुलिस ने यह कार्रवाई सेशन कोर्ट के आदेश पर की है। आरोप है कि सैमुअल क्रिश्चियन ने स्वयं एकतरफा कानून के प्रावधानों के बिना मध्यस्थ यानी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उसने एक झूठा न्यायाधिकरण यानी अदालत स्थापित कर न्याय की अदालत का माहौल बना दिया था।
कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया
अहमदाबाद शहर की पुलिस ने मॉरिस क्रिश्चियन के नाम के शख्य के खिलाफ एफआईआर दाखिल की है। मॉरिस पेशे से वकील है। पुलिस ने आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिस्टन और उसके साथ जुड़े सभी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 465,467,471,120 (बी) में मामला दर्ज किया है। पुलिस ने यह कार्रवाई सेशन कोर्ट के आदेश पर की है। आरोप है कि सैमुअल क्रिश्चियन ने स्वयं एकतरफा कानून के प्रावधानों के बिना मध्यस्थ यानी न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उसने एक झूठा न्यायाधिकरण यानी अदालत स्थापित कर न्याय की अदालत का माहौल बना दिया था।
कोर्ट के तौर पर संचालन
यह भी सामने आया है कि आरोपी अपनी नकली कोर्ट में अदालत की तरह कर्मचारियों और वकीलों को खड़ा किया। खुद न्यायाधीश की तरह काम किया। इतना ही नहीं दावे का निपटारा खुद किया। इसके बाद सरकारी जमीन एक निजी व्यक्ति को सौंप दी। जबकि मूल कोर्ट में करोड़ों की सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति के नाम करने का प्रस्ताव रखा गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एडवोकेट क्रिश्चियन को मध्यस्थ-न्यायाधीश के रूप में नियुक्त नहीं किया गया था, लेकिन उन्होंने एक मध्यस्थ के रूप में काम किया और कानूनी प्रावधानों का पालन किए बिना एकतरफा आदेश पारित कर दिया।