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एग्जिट पोल:  महाराष्ट्र के 10 में से 6 पोल में भाजपा गठबंधन की सरकार, झारखंड के 7 में से 5 पोल में भाजपा को बहुमत

एग्जिट पोल: महाराष्ट्र के 10 में से 6 पोल में भाजपा गठबंधन की सरकार, झारखंड के 7 में से 5 पोल में भाजपा को बहुमत


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मुंबई/ रांची/ दिल्ली3 मिनट पहले

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महाराष्ट्र की 288 और झारखंड में दूसरे फेज की 38 विधानसभा सीटों पर बुधवार को वोटिंग खत्म हो गई। झारखंड में 13 नवंबर को पहले फेज में 42 सीटों पर वोटिंग हुई थी। राज्य में 81 सीटें हैं। दोनों राज्यों के नतीजे 23 नवंबर को आएंगे।

महाराष्ट्र में 10 एग्जिट पोल आए हैं। इनमें से 6 में भाजपा गठबंधन की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है, जबकि 3 में कांग्रेस गठबंधन की सरकार का अनुमान है। एक में किसी को बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है।

झारखंड के लिए अब तक 7 एग्जिट पोल आए हैं। 5 में भाजपा गठबंधन को तो 2 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिलने के आसार जताए गए हैं।

नीचे देखें एग्जिट पोल्स की टेबल:

चुनाव से पहले दो ओपिनियन पोल आए थे

एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में फर्क ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल चुनावी सर्वे हैं। ओपिनियन पोल को चुनाव से पहले किया जाता है। इसके नतीजे भी चुनाव से पहले जारी होते हैं। इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है। मतलब जरूरी नहीं कि सर्वे के सवालों का जवाब देने वाला मतदाता ही हो। इस सर्वे में अलग-अलग मुद्दों के आधार पर जनता के मूड का अनुमान लगाया जाता है।

एग्जिट पोल चुनाव के दौरान किया जाता है। इसके नतीजे सभी फेज के मतदान खत्म होने के बाद जारी किए जाते हैं। एग्जिट पोल एजेंसियों के अधिकारी वोटिंग के दिन मतदान केंद्रों पर मौजूद होते हैं। वे मतदान करने के बाद वोटर्स से चुनाव से जुड़े सवाल पूछते हैं।

वोटर्स के जवाब के आधार पर रिपोर्ट बनाई जाती है। रिपोर्ट का आकलन किया जाता है, जिससे पता चले कि वोटर्स का रुझान किस तरफ ज्यादा है। इसके बाद नतीजों का अनुमान लगाया जाता है।

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महाराष्ट्र का सियासी समीकरण

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2019 में महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना (अविभाजित) गठबंधन को बहुमत मिला। 2014 के मुकाबले गठबंधन की सीटें और वोट शेयर दोनों गिरा था। गठबंधन को 161 सीटें मिली थीं और वोट शेयर 42% था। 2014 में इसी गठबंधन को 185 सीटें मिली थीं, जिसमें भाजपा की 122 और शिवसेना को 63 सीटें थीं। वोट शेयर 47.6% था।

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2019: नतीजों के बाद पाला बदलकर CM बने उद्धव ठाकरे शिवसेना और बीजेपी 1984 में करीब आईं। 2014 में कुछ समय के लिए इस गठबंधन में दरार आई। हालांकि 2019 विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने मिलकर लड़ा और जीता। इसके बाद दोनों पार्टियों में मतभेद हुए। 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर उद्धव ठाकरे सीएम बने। उद्धव सरकार ने कई उतार-चढ़ावों से गुजरते हुए ढाई साल पूरे किए।

2022: एकनाथ शिंदे की बगावत और 2 टुकड़ों में बंटी शिवसेना 2019 में उद्धव ने राज्य सरकार में नगर विकास मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को विधायक दल का नेता बनाया था। मई 2022 में शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत की। पॉलिटिकल ड्रामे के बाद उद्धव ने इस्तीफा दिया। 24 घंटे के अंदर शिंदे ने सीएम और देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली।

2023: अजित पवार ने बगावत की, NCP टूट गई NCP के 25वें स्थापना दिवस पर 10 जून 2023 को शरद पवार ने पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले के नाम की घोषणा की। NCP में साइडलाइन होने के संकेत मिलने पर 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने 41 विधायकों के साथ महायुति जॉइन कर लिया और शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बन गए।

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झारखंड का सियासी समीकरण

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हेमंत ने 5 साल में दो बार सीएम पद की शपथ ली, चंपाई बीजेपी में शामिल 2019 में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर 47 सीटें हासिल कीं और सरकार बनाई। 31 जनवरी में जमीन घोटाले में हेमंत की गिरफ्तारी हुई। उनकी जगह 2 फरवरी को JMM के चंपाई सोरेन को सीएम बनाया गया था। गठबंधन की सरकार कहीं गिर न जाए, इसके चलते JMM-कांग्रेस के 37 विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट किया गया था।

5 महीने जेल में रहने के बाद हेमंत को जमानत मिली। 3 जुलाई को चंपाई ने इस्तीफा दिया। 4 जुलाई को हेमंत ने तीसरी बार झारंखड सीएम पद की शपथ ल थी। 28 मई को चंपाई ने हेमंत सरकार पर उनकी जासूसी का आरोप लगाते हुए JMM से इस्तीफा दिया। 30 मई को चंपाई बीजेपी में हो गए।

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