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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ब्रेकअप आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं:  शादी का वादा तोड़ने पर नहीं चलाया जा सकता क्रिमिनल केस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ब्रेकअप आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं: शादी का वादा तोड़ने पर नहीं चलाया जा सकता क्रिमिनल केस


नई दिल्ली27 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में युवती के सुसाइड मामले के आरोपी युवक को सुसाइड के लिए उकसाने का दोषी नहीं पाया। - Dainik Bhaskar

सुप्रीम कोर्ट ने 2007 में युवती के सुसाइड मामले के आरोपी युवक को सुसाइड के लिए उकसाने का दोषी नहीं पाया।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक फैसले में कहा कि ब्रेकअप या शादी का वादा तोड़ना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं हो सकता। हालांकि, ऐसे वादे टूटने पर शख्स इमोशनली परेशान हो सकता है। अगर वह सुसाइड कर लेता है, तो इसके लिए किसी दूसरे व्यक्ति को अपराधी नहीं माना जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को बदला, जिसमें आरोपी कमरुद्दीन दस्तगीर सनदी को अपनी गर्लफ्रेंड से चीटिंग और सुसाइड के लिए उकसाने का दोषी पाया गया था। हाईकोर्ट ने आरोपी को 5 साल की जेल और 25 हजार जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी।

मामले की सुनवाई जस्टिस पंकज मित्तल और उज्जल भुयान की बेंच ने की। उन्होंने इस मामले को क्रिमिनल केस न मानकर नॉर्मल ब्रेकअप केस माना है और सजा को पलट दिया है। हालांकि, कोर्ट से पहले ट्रायल कोर्ट भी आरोपी को बरी कर चुका था।

पूरा मामला 2 पॉइंट्स में पढ़िए…

1. 8 साल का रिश्ता टूटा, लड़की ने सुसाइड की साल 2007 में आरोपी कमरुद्दीन ने 8 साल के रिलेशनशिप के बाद अपनी गर्लफ्रेंड से शादी करने से मना कर दिया था। इसके बाद 21 साल की लड़की ने सुसाइड कर लिया। उसकी मां ने युवक के खिलाफ FIR दर्ज कराई। ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया, लेकिन हाईकोर्ट ने उस पर सेक्शन 417 (चीटिंग) और सेक्शन 306 (सुसाइड के लिए उकसाने) के तहत दोषी पाया और उसे 5 साल जेल की सजा सुनाई। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

2. कोर्ट बोला- दोनों में फिजिकल रिलेशन की बात साबित नहीं हुई सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जांच में आरोपी का लड़की के साथ शारीरिक संबध होने की बात साबित नहीं हो पाई। न ही सुसाइड के लिए उकसाने की बात सही मिली। ऐसे में लड़के को सजा देना न्याय संगत नहीं है।

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